दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि एक वयस्क महिला अपनी मर्जी से कहीं और किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र है. दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट में एक युवती के परिवार ने अपनी बेटी को पेश करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई गई थी. कोर्ट ने इसी मामले की सुनवाई में अपना फैसला सुनाया है.
युवती के परिवार का दावा था कि वह गायब हो गई है. लेकिन इस मामले में खुद युवती ने कोर्ट के सामने पेश होकर बताया कि वह अपने परिवार और घर को छोड़कर अपनी मर्जी से आई है और फिलहाल शादी करके एक व्यक्ति के साथ रह रही है. युवती ने सेक्शन 164 के तहत अपना बयान भी दर्ज कराया है.
लड़की बोली- अपनी मर्जी से घर छोड़ा
ऐसे में जब कोर्ट ने पाया कि युवती गायब नहीं है बल्कि अपनी मर्जी से अपने पैतृक घर को छोड़कर किसी व्यक्ति के साथ शादी करके रह रही है तो उसने इस मामले में याचिका का निपटारा कर दिया. मामले को निपटाते हुए अदालत ने कहा कि कोई भी वयस्क महिला अपनी मर्जी से कहीं भी और किसी के भी साथ रहने के लिए स्वतंत्र है.
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि इस युवती की पैदाइश साल 2000 की है. यानी वह तकरीबन 20 साल की है, और वयस्क है. ऐसी स्थिति में परिजन उस पर अपना कोई भी फैसला थोपने के लिए दबाव नहीं डाल सकते हैं.