Wednesday, July 22, 2020

मान सिंह, जिन्होंने कांग्रेस के मंच और सीएम के हेलिकॉप्टर से भिड़ा दी थी जीप


उत्तर प्रदेश में मथुरा की ज़िला अदालत ने बहुचर्चित भरतपुर के मानसिंह हत्याकाण्ड में दोषी पाए गए सभी 11 पुलिस कर्मचारियों को उम्रकैद व 12-12 हज़ार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है.


अदालत के सुनाए गए फ़ैसले के बाद मानसिंह की पुत्री व राजस्थान की पूर्व कैबिनेट मंत्री कृष्णेंद्र दीपा कौर ने अदालत के निर्णय एवं दोषियों को सुनाई गई सज़ा पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि आख़िर 35 साल बाद ही सही, न्याय तो मिला.


क्या थी वो घटना?


यह घटना 21 फरवरी ,1985 की है. राजस्थान के भरतपुर ज़िले के डीग में चुनाव के दौरान उपजे एक विवाद के बाद पुलिस ने पूर्व रियासत के सदस्य मान सिंह को गोली चला कर मार डाला.


मान सिंह पर आरोप था कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान अपनी जीप से पहले कांग्रेस की सभा का मंच धराशाई कर दिया और फिर तत्कालीन मुख्य मंत्री शिव चरण माथुर के हेलिकॉप्टर को जीप से टक्कर मार कर क्षतिग्रस्त कर दिया. यह विवाद तब पैदा हुआ, जब विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान कथित रूप से डीग में कांग्रेस समर्थकों ने लक्खा तोप के पास अपना परचम लहरा दिया. 


मान सिंह डीग से निर्दलीय होकर चुनाव मैदान में थे. उनके समर्थकों को यह गवारा नहीं हुआ. इसके अलावा भी दोनों पक्ष के कार्यकर्ताओ में कटुता की कुछ और घटनाएँ भी हुई. इससे मान सिंह कुपित हो गए. चुनाव प्रचार के दौरान 20 फरवरी को मुख्य मंत्री माथुर का दौरा था. लिहाज़ा मान सिंह जी ने कांग्रेस की सभा न होने देने की ठान ली. वे अपने कार्यकर्ताओ के साथ जीप में सवार होकर पहुँचे और मंच तोड़ दिया. फिर हेलिकॉप्टर भी जीप का निशाना बना. लेकिन इसमें कोई चोटिल नहीं हुआ. मुख्य मंत्री माथुर सड़क मार्ग से वापस जयपुर लौट गए. पुलिस ने इस बारे में मान सिंह के विरुद्ध मुक़दमे दर्ज किए." 


इसके अगले दिन 21 फरवरी 1985 को पुलिस ने डीग की अनाज मंडी में जीप पर सवार होकर जाते मान सिंह पर गोली चलाई. इसमें सिंह और उनके दो सहयोगी मारे गए. इस जीप में विजय सिंह साथ थे. लेकिन वे बच गए. पुलिस कहती रही कि उसने आत्म रक्षा में गोली चलाई है. लेकिन विजय सिंह कहते हैं कि मान सिंह के पास कोई हथियार नहीं था. वे प्रचार के लिए निकले थे. ऐसे में पुलिस ने निहत्थों पर गोली चलाई और उन्हें मौत की नींद सुला दिया.


इस लंबी अवधि में 1700 से अधिक सुनवाई की तारीखें गुज़री और कोई एक हज़ार दस्तावेज भी अदलात की नज़रों से गुज़रे. 35 साल चले मुक़दमे में 26 जज बदल गए, 27वें ने फ़ैसला. ख़ास बात यह है कि सभी अभियुक्त 60 साल से ऊपर के हैं और डीएसपी कान सिंह भाटी अस्सी साल से ऊपर के हैं. 


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