दूसरों की नौकरी और रोज़ी-रोटी पर मँडरा रहे संकट पर बात करने वाले पत्रकारों का भविष्यअब खुद खतरे में है. जबकि 22 मार्च के अपने संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि 'पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों की तरह मीडिया की भी इस महामारी से लड़ने में अहम भूमिका होगी.'
प्रधानमंत्री ने आग्रह भी किया था कि 'आप अपने व्यवसाय, उद्योग में साथ काम करने वाले लोगों के प्रति संवेदना रखें और किसी को नौकरी से ना निकालें.'
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी अप्रैल में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर मीडिया सेक्टर पर मँडरा रहे संकट का ज़िक्र किया था.
उन्होंने ये भी कहा था कि 'मीडिया संस्थान सिर्फ़ तीन हफ़्तों के लॉकडाउन के बाद महामारी को लोगों की नौकरियां छीनने का बहाना नहीं बना सकते.'
लेकिन, उसके बावजूद भी संस्थान बेधड़क अपने कर्मचारियों से इस्तीफा ले रहे हैं. पत्रकारों पर दोहरी मार पड़ी है. लॉकडाउन में नौकरी जाने से दूसरे संस्थान में फ़िलहाल नौकरी मिलना भी मुश्किल है.