एक जून से लागू होने वाले आदेश में कहा गया कि पहली और दूसरी श्रेणी में आने वाली वस्तुओं की बिक्री होगी। तीसरी श्रेणी की वस्तुओं को डी-लिस्ट कर दिया जाए। जब इस आदेश की कॉपी मीडिया में पहुंची तो सरकार ने इस आदेश को वापस लेने की बात कह दी। गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस बाबत जल्द ही नए आदेश जारी किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले माह कहा था कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अब लोकल प्रोडक्ट्स (भारत में बने उत्पाद) का उपयोग करना होगा। उन्होंने सभी लोगों से अपील की थी कि खादी की तरह वे दूसरे उत्पादों में भी स्वदेशी को तव्वजो दें। उनकी इस अपील पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों ने सबसे पहले काम करना शुरु किया है।
इन बलों की कैंटीन और स्टोर पर अब केवल स्वदेशी उत्पाद ही मिलेंगे। एक जून 2020 से देशभर की सभी ऐसी कैंटीनों पर यह नियम लागू करने की बात कही गई है। इन कैंटीनों और स्टोर की कुल खरीद लगभग 2800 करोड़ रुपये है। लगभग 10 लाख सुरक्षा कर्मी और उनके 50 लाख परिजन इन कैंटीन और स्टोर का इस्तेमाल करते हैं।
कैंटीन में दरअसल अभी तक जो सामान बिक रहा था, उसमें ज्यादातर वस्तुएं तो ऐसी हैं जो किसी बाहरी फर्म से जुड़ी हैं। भले ही उसकी डीलरशिप स्थानीय व्यक्ति के पास है, लेकिन वह उत्पाद पूरी तरह से आयातित हैं। कैंटीन का महकमा देखने वाले एक अधिकारी का कहना था कि हमने आदेशानुसार उन सभी उत्पादों की सूची बना दी, जिनके निर्माण में किसी दूसरे देश का योगदान है।
जब वह सूची तैयार हुई तो पता चला कि अगर ये सभी उत्पाद डी-लिस्ट हो गए तो कैंटीन में कुछ बचेगा ही नहीं। शाम को सीआरपीएफ ने भी कह दिया कि कैंटीन को लेकर सामानों की जो सूची जारी हुई है, वह गलत है।