देश के पहले श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए तैयार की 70 हजार दवाई की गोलियां, राज्य सरकार के आदेशानुसार फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल, नूंह और अब रोहतक के 64 कोरोना वायरस के मरीजों को देनी शुरु की आयुर्वेदिक दवाई, अब तक 22 मरीज ठीक होकर जा चुके है घर, कुरुक्षेत्र में आयुष विभाग और विश्वविद्यालय के तत्वाधान में तैयार की जा रही है कोरोना वायरस की आयुर्वेदिक दवा
कुरुक्षेेत्र 5 मई देश में कोरोना वायरस से संक्रमण से पीडि़त मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। इस वायरस से पीडि़त मरीजों के लिए देश के पहले श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में आयुर्वेदिक दवाई बनानी शुरु कर दी है। इस दवा को शुरुआती दौर में मरीजों को ऐलोपैथी दवाई के साथ ही दिया जा रहा है। इस विश्वविद्यालय में आयुष विभाग हरियाणा के सहयोग से मरीजों को देन के लिए 70 हजार आयुर्वेदिक दवाई की गोलियां तैयार कर ली गई है। अहम पहलू यह है कि इन आयुर्वेदिक दवाईयों को राज्य सरकार के आदेशानुसार फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल, नूह और अब रोहतक में भी एलोपैथी दवाई के साथ देनी शुरु कर दी है। इस समय प्रदेश के इन जिलों में कोराना वायरस के संक्रमण से पीडि़त 64 मरीजों को आयुर्वेदिक दवा एलोपैथी दवा के साथ दी जा रही है, जिसके सार्थक परिणाम सामने आए है और 22 मरीज ठीक होकर घर जा चुके है।
श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के कुलपति डा. बलदेव धीमान स्वयं विश्वविद्यालय की लैब में कोरोना वायरस की दवा को तैयार कर रहे है और उनके साथ डा. आशीष मेहता, डा. बलबीर सिंह, डा. अनिल शर्मा, डा. रविराज, डा. अनामिका, डा. सुरेन्द्र सहरावत के साथ-साथ अन्य शोधार्थी भी लगे हुए है। इस लैब में मंगलवार को देर सायं तक कोरोना वायरस के मरीजों को देने के लिए महा सुदर्शन घन वटी 53 ड्रग्स को मिलाकर 70 हजार दवाई की गोलिया तैयार कर ली गई है। यह 500 एमजी की दो गोलिया बालिग को दिन में तीन बार दी जाती है और इसके साथ ही 6 ड्रग्स से बना काढ़ा षंडगपानीय भी इस लैब में तैयार किया जा रहा है और दिनभर इसी काढ़ा को पानी की जगह मरीज को पिलाया जाता है। कुलपति डा. बलदेव धीमान ने बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल व हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आदेशानुसार हरियाणा पहला ऐसा राज्य है जहां पर कोरोना के मरीजों को आयुर्वेदिक दवा देने की इजाजत दी गई और इसको बकायदा प्रोटोकॉल में भी शामिल करवाया गया।
उन्होंने कहा कि 6 अप्रैल को राज्य सरकार से आदेश मिलते ही कोरोना वायरस की आयुर्वेदिक दवा तैयार करने को लेकर एक प्रोजैक्ट तैयार किया गया और इस प्रोजैक्ट को स्वयं सीसीआरएएस के महानिदेशक डा. करतार सिंह धीमान के समक्ष रखा गया तथा इस संस्थान द्वारा गठित टीम ने पूरी स्टडी करने के उपरांत आयुर्वेदिक दवा को प्रयोग करने की अनुमति दी। इसके साथ ही इस प्रोजैक्ट को पंडित भगवत दयाल शर्मा विश्वविद्यालय ऑफ हेल्थ साईसिंस की आईईसी के समक्ष रखा गया। इसके बाद इस संस्थान की टीम ने आयुर्वेदिक शोध संस्थान सीसीआरएएस की रिपोर्ट को ही मान्यजा दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के आदेशानुसार सबसे पहले फरीदाबाद, गुरुग्राम और पलवल और बाद में नूंह में कोरोना वायरस के मरीजों को आयुर्वेदिक दवाई दी जा रही है। यह दवाई ऐलोपैथी दवाईयों के साथ ही दी जा रही है। सरकार के आदेशानुसार मंगलवार से रोहतक में भी कोरोना वायरस के मरीजों को आयुर्वेदिक दवाई देनी शुरु कर दी है। इस प्रकार विश्वविद्यालय की तरफ से अब 64 मरीजों को आयुर्वेदिक दवाई दी जा रही है। इस दवाई से 22 मरीज रिकवर भी हो चुके है।
कुलपति ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण वाले मरीज को आयुर्वेदिक दवाई 1 महीने तक दी जाती है, लेकिन अब तक दिए गए मरीजों को 5 दिन में ही ठीक हो गए है, बाकी दिन के कोर्स को पूरा करने के लिए घर पर ही यह दवाई दी जा रही है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक दवाई के लिए आदेश मेडिकल कालेज, मुलाना मेडिकल कालेज, खानपुर मेडिकल कालेज के साथ भी एमओयू पर चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के समक्ष यह भी प्रस्ताव रखा जाएगा कि कुछ मरीजों पर केवल और केवल आयुर्वेदिक दवाईयों का प्रयोग किया जाए, अगर सरकार से अनुमति मिलती है तो इस विषय पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।