पांच दिन से दिल्ली में तनाव है। 23 फरवरी की रात को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर भीड़ के इकट्ठा होने के बाद भड़की हिंसा, दंगो में तब्दील हो गई। इन दंगों में अब तक 42 की मौत हो चुकी है, जबकि 350 से ज्यादा लोग घायल हैं। मरने वालों का आंकड़ा थमने की बजाय रोज बढ़ता ही जा रहा है। पुलिस के मुताबिक, ज्यादातर लोगों की मौत गोली लगने की वजह से हुई है। जबकि कुछ लोगों की मौत दंगाइयों के हमले से हुई। मरने वालों में सबसे उम्रदराज 85 साल की अकबरी हैं। अकबरी का घर दंगाइयों ने जला दिया। उस वक्त वे घर पर ही थीं। जबकि, सबसे छोटे हाशिम और अमान थे। दोनों की उम्र 17 साल ही थी। हाशिम भाई के साथ परिवार वालों के पास जा रहे थे, तभी उन्हें दंगाइयों ने मार दिया और अमान घर से दूध लेने निकले थे, तभी उन्हें गोली मार दी। दिल्ली के करीब 15 इलाकों में दंगे भड़के। कई लोग जिंदा जला दिए गए, तो कई लोगों को चाकू-तलवार जैसे धारदार हथियारों से हमला कर मार दिया गया। दंगों में जान गंवाने वालों में ज्यादातर लोग गरीब थे। अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले भी। किसी की हफ्तेभर पहले ही शादी हुई थी, तो किसी की पत्नी प्रेग्नेंट थी। अभी तक मरने वाले 42 लोगों में से 30 की पहचान हो गई है।
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