कोरोनावायरस के संक्रमण की खबरों के बीच आजकल वॉट्सएप पर आपने एक बहस और सुनी होगी। वो यह कि घर आई किस वस्तु को हाथ लगाएं, किस चीज को घर पर मंगवाएं या किस को नहीं? फिर वो चाहे ऑनलाइन डिलिवरी का पैकेट हो, ग्रॉसरी हो या फिर अखबार। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि कोरोनावायरस की किसी जीवित जंतु की कोशिकाओं को छोड़कर अधिकांश सतह पर जीवित रहने की दर अच्छी नहीं है। वायरोलॉजिस्ट्स का कहना है कि इस बात की आशंका बिल्कुल भी नहीं है कि अगर आप समाचार पत्र पढ़ते हैं तो संक्रमित हो जाएंगे।
आज अधिकांश बड़े समाचार पत्र ऑटोमैटिक मशीनों में छपते हैं। इनमें मनुष्य का दखल नहीं होता है। न्यूज प्रिंट यानी अखबार के कागज से लेकर प्रिंटिंग मटेरियल का इस्तेमाल करने व उसकी फोल्डिंग, पैकिंग और डिस्पैच तक बेहद आधुनिक तकनीक से किया जाता है। इसमें मशीनों का ही इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं, अखबारों ने पाठकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर संक्रमण से बचाने के अन्य भी कई जरूरी उपाय किए हैं। अखबारों में पाठकों के काम की सर्वाधिक जानकारियां होती है। रिसर्च और तथ्याें पर आधारित। खबरों का सबसे विश्वसनीय और जरूरी स्रोत अखबार आपके लिए पूरी तरह सुरक्षित है।
वायरोलॉजिस्ट डॉ. टी जैकब जॉन ने कहा, 'हमने अभी तक नहीं सुना है कि अख़बार संक्रमण के वाहक हो सकते हैं। ऐसी संभावना लगभग शून्य है। इसमें भी एक टाइम गैप होता है, जरूरी नहीं कि जब तक कोई अख़बार को पढ़ने के लिए उठाए, तब तक वायरस जीवित रहे। जब हमारे सामने वास्तविक खतरे मौजूद हैं, तब हमें काल्पनिक खतरों के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए।'