सूर्य ग्रहण पर कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर भगवान श्रीकृष्ण का हुआ था यशोदा मैय्या और राधा से आखिरी मिलन, सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी सहित गुरु अमरदास जी, गुरु तेगबहादुर जी और गुरु गोबिंद सिंह भी सूर्यग्रहण पर पहुंचे थे कुरुक्षेत्र में, 26 दिसम्बर को मूल नक्षत्र धनु राशि में लगेगा सूर्यग्रहण
कुरुक्षेत्र 24 दिसम्बर दुनिया को कर्म का संदेश देने वाली कुरुक्षेत्र की भूमि मोक्षदायिनी भी है। सूर्यग्रहण पर स्नान करने से न केवल मोक्ष की प्राप्ति होती है बल्कि सभी पापों से भी मुक्ति मिलती है। सूर्य ग्रहण के बाद कुरुक्षेत्र में किए गए दान का विशेष महत्व माना गया है। यही नहीं इसी मोक्षदायिनी भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण का यशोदा मैय्या व राधा से आखिरी बार मिलन हुआ था। अहम पहलु यह है कि शास्त्रों के अनुसार कुरुक्षेत्र के इस पावन सरोवर में प्रत्येक अमावस्या के दिन समस्त तीर्थ एकत्रित हो जाते है और सूर्य ग्रहण के अवसर पर इस तीर्थ के जल में स्नान हजारों अश्वमेघ यज्ञों के फल के बराबर माना जाता है। इस सरोवर पर मृतकों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्घ की भी प्राचीन परम्परा रही है।
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में 26 दिसम्बर को मूल नक्षत्र धनु राशि में सूर्य ग्रहण लगेगा। लिहाजा महाभारत की रणभूमि कर्म के साथ पापों से मुक्तिदायक भी है। गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पंडित रामराज कौशिक के अनुसार महाभारत की एक कथा के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण के मथुरा छोडऩे के बाद अपने माता-पिता (यशोदा और नंद बाबा) व देवी राधा से आखिरी मुलाकात हुई थी। यही नहीं सभी गोपियों संग भगवान श्रीकृष्ण ने पवित्र ब्रह्मसरोवर में स्नान किया था। गोपियों से मिलने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की कुंती व द्रौपदी सहित पांचों पांडवों से भेंट हुई।
सूर्यग्रहण का पुराणों में जिक्र है कि राहु द्वारा भगवान सूर्य के ग्रस्त होने पर सभी प्रकार का जल गंगा के समान, सभी ब्राह्मण ब्रह्मा के समान हो जाते हैं। इसके साथ ही इस दौरान दान की गई सभी वस्तुएं भी स्वर्ण के समान होती हैं।
सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र में स्नान के लिए सिख गुरु, धर्म गुरु व श्रद्घालु भी यहां बराबर आते रहे। सिखों के प्रथम गुरु गुरनानक देव जी महाराज सन 1499 से 1509 के बीच किसी सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र आएं। उनके लिए शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के लिए यह एक बहुत बड़ा अवसर था, क्योंकि इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से यहां बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री आए हुए थे। श्री गुरुनानक देव जी महाराज के आगमन की स्मृति में ब्रहमसरोवर के दक्षिणी पश्चिमी कोने में गुरुद्वारा पहली पातशाही बनाया गया है। श्री गुरुनानक देव जी महाराज के बाद सिखों के तीसरे गुरु अमरदास जी महाराज सन 1572 ईस्वी, नौंवे गुरु तेगबहादुर जी सन 1664-65 व दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज सूर्यग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र में आए।
मुगल सम्राट अकबर ने 1567 ईस्वी में सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र की यात्रा की, पुरी भिक्षु सम्प्रदाय के प्रमुख केशव पुरी ने सम्राट के समक्ष आपति की कि कुरुक्षेत्र सरोवर, जहां वे तीर्थ यात्रियों से भिक्षा ग्रहण करते है, उस सरोवर पर हमारे प्रतिद्वंदी पूर्व साधुओं ने अधिकारी कर लिया है। अत: दोनों के मध्य कलह अपरिहार्य हो गया है। निजामुदीन अहमद एवं अबुल फजल ने इस घटना को वर्णित किया है। तदानुसार प्रतिद्वंदियों के मध्य विवाद का कारण था, जल में लोगों द्वारा डाले गए स्वर्ण, चांदी, आभूषण तथा अन्य मुल्यवान वस्तुओं पर एवं ब्राहमणों को दिए गए उपहारों पर अधिकार स्थापित करना। विवाद के समाधान हेतू स्वयं अकबर घटना स्थल पर गए।
कुरुक्षेत्र की पावन भूमि के दर्शनों हेतू अनादि काल से ही अनेक श्रृद्घालु एवं तीर्थ यात्री निरंतर आते रहे है। ऐतिहासिक काल में यहां ह्वेन त्सांग यहां 7वीं शताब्दी, अल-बेरुनी 11वीं शताब्दी, फ्रांसिस बर्नियर 17वीं शताब्दी जैसे विदेशी यात्रियों ने कुरुक्षेत्र का भ्रमण कर अपनी यात्रा संस्मरणों में इस भूमि की धार्मिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महता का उल्लेख किया है।
भगवान श्री कृष्ण ने भी इस सरोवर में किया स्नान
सूर्यग्रहण पर भारत के कई प्रदेशों अंग, मगद, वत्स, पांचाल, काशी, कौशल के कई राजा-महाराजा बड़ी संख्या में स्नान करने कुरुक्षेत्र आए थे। द्वारका के दुर्ग को अनिरुद्ध व कृतवर्मा को सौंपकर भगवान श्रीकृष्ण, अक्रूर, वासुदेव, उग्रसेन, गद, प्रद्युम्न, सामव आदि यदुवंशी व उनकी स्त्रियां भी कुरुक्षेत्र स्नान के लिए आई थीं।
2 घंटे 36 मिनट रहेगा सूर्य ग्रहण का प्रभाव
इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को लग रहा है। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन लगता है। हिंदू पंचांग की मानें तो पौष माह की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। कहा जाता है कि इस दिन पितृदोष शांति और पिछले जन्म के पापों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति के लिए उपाय किए जाते हैं, लेकिन सूर्य ग्रहण लगने से अमावस्या के ये उपाय सूतक लगने से पहले ही कर लिए जाएंगे। सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर सुबह आठ बजकर 18 मिनट और 28 सेकेंड से सूर्यग्रहण कुरुक्षेत्र में दिखाई देगा। इसकी कुल अवधि दो घंटे 36 मिनट 38 सेकेंड रहेगी। यह सूर्यग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा, लेकिन इसकी कंकण आकृति केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक आदि दक्षिण भागों में दिखेगी शेष भारत में यह खंड ग्रास के रूप में दिखाई देगा।