2012 के निर्भया दुष्कर्म केस में दोषी अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि अक्षय की पुनर्विचार याचिका में कोई नए तथ्य नहीं है इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है। वहीं अक्षय के वकील ने कहा कि वह इस मामले को लेकर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे।
क्यूरेटिव पिटीशन एक कानूनी शब्द है। यह तब दाखिल किया जाता है जब किसी दोषी की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है। ऐसे में क्यूरेटिव पिटीशन दोषी के पास मौजूद अंतिम मौका होता है जिसके द्वारा वह अपने लिए निर्धारित की गई सजा में नरमी की गुहार लगा सकता या सकती है।
क्यूरेटिव पिटीशन किसी भी मामले में कोर्ट में सुनवाई का अंतिम चरण होता है। इसमें फैसला आने के बाद दोषी किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता नहीं ले सकता है।
क्यूरेटिव पिटीशन किसी भी मामले में कोर्ट में सुनवाई का अंतिम चरण होता है। इसमें फैसला आने के बाद दोषी किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता नहीं ले सकता है।
क्या हैं क्यूरेटिव पिटीशन के नियम
याचिकाकर्ता को अपने क्यूरेटिव पिटीशन दायर करते समय ये बताना जरूरी होता है कि आखिर वो किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती कर रहा है। क्यूरेटिव पिटीशन किसी सीनियर वकील द्वारा सर्टिफाइड होना जरूरी होता है, जिसके बाद इस पिटीशन को सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर मोस्ट जजों और जिन जजों ने फैसला सुनाया था उसके पास भी भेजा जाना जरूरी होता है। अगर इस बेंच के अधिकतर जज इस बात से सहमति जताते हैं कि मामले की दोबारा सुनवाई होनी चाहिए तब क्यूरेटिव पिटीशन को दोबारा उन्हीं जजों के पास भेज दिया जाता है।