Saturday, December 21, 2019

कैसे अजीत डोभाल ने नाकाम की दिल्ली को हिंसा की आग में धकेलने की साजिश


जामिया में हुई घटना के बाद दिल्ली पुलिस इस उलझन में थी कि गुरुवार को प्रदर्शनकारियों को किस रूट या जगह पर और कितनी देर के लिए प्रदर्शन करने की इजाजत दी जाए। पुलिस का अपना इंटेलिजेंस नेटवर्क अन्य दिनों की भांति सामान्य इनपुट जुटाने में व्यस्त था। उनके पास ऐसी सूचना नहीं थी कि कोई बाहर से आकर दिल्ली को हिंसा की आग में धकेलने की साजिश रच रहा है।





 

इंटेलिजेंस के मास्टर कहे जाने वाले पूर्व आईबी चीफ एवं मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को इस बात की आहट लग चुकी थी कि बाहर के लोग नागरिकता कानून पर प्रदर्शन की आड़ में राजधानी दिल्ली को हिंसा की आग में धकेलने का प्लान तैयार कर रहे हैं। बुधवार आधी रात को दोभाल ने दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक और उनके सिपहसालारों को बुला लिया।

 

 





अजीत डोभाल ने जब दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार और शुक्रवार को बड़े पैमाने पर दंगा एवं आगजनी की साजिश रची जा रही है, तो वे हैरान रह गए। खासतौर पर, दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस इकाई से जुड़े अधिकारी तो कुछ ज्यादा बोल ही नहीं पाए। डोभाल ने उन्हें बताया कि हिंसा कराने के लिए कितने लोगों को मेवात से दिल्ली बुलाया गया है। वे किस रूट और कौन से ट्रांसपोर्ट से दिल्ली पहुंचेंगे। उन्हें कैसे रोकना है और हो सकता है कि उनमें से कुछ लोग अपना हुलिया बदल कर मेट्रो के जरिए दिल्ली पहुंच जाएं।

गुरुग्राम के सभी मेट्रो स्टेशनों पर सुरक्षा बलों को चौकस कर दिया गया। यात्रियों की गहन चेकिंग की गई। मेवात जिले की पुलिस को कई अहम ज़िम्मेदारियां सौंपी गईं। दिल्ली की ओर आने वाले छोटे टैंपों, डिलिवरी वैन और कमर्शियल वाहनों को बीच राह में रोक कर यह देखा गया कि कहीं उनमें सवारी तो नहीं बैठी हैं। गुरुग्राम के अलावा दिल्ली के कई चौराहों पर भी विशेष सुरक्षा बल तैनात कर ऐसे वाहनों पर नजर रखी गई। एक साथ 18-20 मेट्रो स्टेशनों को बंद करना, कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को बाधित करना और प्रदर्शनकारियों को एक तय क्षेत्र से बाहर नहीं निकलने देना, ये सब डोभाल की रणनीति थी।

नतीजा, गुरुवार और शुक्रवार को हुए प्रदर्शन में छिटपुट घटनाओं के अलावा बड़ी हिंसा और आगजनी नहीं हुई। एनएसए अजीत डोभाल के निर्देशानुसार, दिल्ली पुलिस के करीब 12 हजार जवानों को प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए विभिन्न इलाकों में तैनात किया गया। करीब छह हजार पुलिसकर्मियों को रिजर्व में रखा गया। प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए क्राइम ब्रांच और आर्थिक अपराध शाखा के जवानों को भी बुलाया गया था।




 




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